Vichar Gatha
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नये साल की आषा
नये साल की नयी है आषा
जीवन की सुमधुर प्रत्याषा ।
उत्सुक नयनों की नयी है भाशा
छायी है दिल मेें नयी सी आषा ।
थोडा उत्सुक आगे बढने को
नयनो से कुन्दन करने को ।
मैं सूरज पर पाॅव पसारूं
चन्द्र और मंगल तक जाऊं।
नियमित पाठ करुं गीता का
जीवन की सुन्दर सरिता का ।
कर्म सुकर्म प्रकाष भरूं
जीवन आनंद का पाठ पढूं ।
हो नित नूतन मंगल विहान
चिर खुषियों का हो आहवान ।
नव संकल्प नव सूरज चाहूं
कर्म सौन्दर्य की आस करूं ।
करूं नित नयेेे कार्य अविरले
जीवन में सुख छाये प्रतिपल ।
सब जीये सुखमय जीवन
उशा सा मंगल हो धरती पर जीवन ।
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