Vichar Gatha
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तुममें इतनी सुंदरता क्यों हैं,
तेरा रूप सौंदर्य मोहक क्यों हैं.
प्रेमी से इतनी दूरी क्यों हैं,
छवि पर मन-मोहित क्यों हैं.
तुम्हारे पास होकर भी तड़प क्यों हैं,
तुम्हे पाने के बाद भी प्यास क्यों है.
यह तड़प तुम्हारे प्यार की हैं,
या अस्तित्व के धड़कन की है.
मेर अनुराग इतना अतृप्त क्यों हैं,
इसमें रिक्तिता की प्रवृति क्यों है??
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