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जब भी वो मिलती हैं!

Vichar Gatha
Vichar Gatha
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जब भी वो मिलती हैं
एक नयी कविता बनती है।
ऐसा क्यों होता है?
मैं नहीं जानता
पर प्रायः ऐसा ही होता है।
उनके दर्शन से ही
कविताओं की धारा फूटती है।
प्रायः नयी कविता बनती है
रूप सरिता की एक नदी बहती है
प्यार उसमें डूब जाता है
अपने मजबूत पंख फङफङाता है,
नदी पार करने का कोशिश करता है,
लेकिन उसमें उूब जाता है।
कभी भी वह पूरा तैर नहीं पाता,
रूप सरिता पार नहीं कर पाता है।

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