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चुनौतियाँ स्वीकार करें

Vichar Gatha
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स्वतंत्रता दिवस पर देशवासियों से नई चुनौतियाँ स्वीकार कर आगे बढ़ने का आग्रह है.देश को राजनीतिक आजादी मिल चुकी है.लोग खुली हवा में साँस ले रहे है.लेकिन कुछ मुट्ठी भर लोग अपनी आजादी का ज्यादा लाभ उठाते हुए दूसरे लोगों को दिक्कतें पैदा कर दे रहे है.जिससे समाज में अराजकता व अन्याय बढ रहा है,दुष्कर्म जैसे मामले बढ़ रहे है. यह हमारी व्वस्था पर एक तमाचा है. पूर्ण सिस्टम के बावजूद लोग मनमानी करने पर आमदा हैं. यह रुकना चाहिए.लोगों में कानून का डर होना चाहिए.
राष्ट्वाद की विचारधारा को बलवती बनाना होगा; ताकि लोगों को देश व समाज के हर तबके से स्नेह व लगाव हो सके.केवल वोट की राजनीती से समाज का भला नहीं होने
वाला है.समाज का तानाबान इस प्रकार बना होना चाहिए की लोग बिना भेदभाव के एक दूसरे की मुसबतों तकलीफों में सहयोग के लिए तैयार हों.संविधान में वर्णित बातों व मूल्यों का पालन हर नागरिक का कर्तव्य है. कुछ लोगों का यह सोचना की यह मूल्य उनके लिए नही है.मूल्यों की अवहेलना शुरू करता है तथा उलंघन की एक ऐसी श्रृंखला शुरू हो जाती है.जिसका अंत नहीं हो पाता है.
बुलंद शहर दुष्कर्म कांड ने केवल प्रदेश की व्यवस्था पर चोट की बल्कि मानवता की सीमाएं तोड़ता हुआ, हमे भी कटघरे में खड़े करता है. हम और आप इस समाज के लिए क्या कर पा रहे है.कानून का अनुपालन शक्ति से होना शुरू हो जाये तो शायद थोड़ी राहत मिले.

मैं सोचता हूँ की लोग नैतिक मूल्यों में आस्था रखें तथा जियो और जीने दे की भावना का पालन करें.गांधीजी की भावना यही थी.यदि हम आज आजादी के दिन मूल्यों के पालन का संकल्प लेते है. तो यह शहीदों के प्रति सचची श्रद्धांजलि यही होगी.गांधीजी जीवन भर जिन मूल्यों के लिए लड़ते रहे है. वे आज भी अधूरे पड़े है. आइये आज हम शपथ लेते है की किसी भी बेसहारा मजबूर ब्यक्ति की हर संभव मदद करगें बिना किसी स्वार्थ के.एक गरीब ओ मजलूम ब्यक्ति को न्याय दिलाने की कोशिश करेगें.शहीदों की आत्मा को तभी शांति मिल सकेगी.लोकतंत्र व् आजादी का मूल मतलब भी यही होना चाहिए.
विचारक होब्स ने कहा है कि आर्थिक आजादी के बिना सामाजिक आजादी मात्र एक भ्रम है.आज हम ७० वॉ वर्षगांठ मना रहे है.आर्थिक आजादी के मामले में देश बहुत कुछ नहीं हो पाया है.सिस्टम बदला है लोगों को अवसर मिले हैं. लोग आगे भी बढ़े है पर अभी जहाँ हमे होइन चाहिए था वहां से हम बहुत पीछे खड़े है.मुठी भर लोगों कि सम्पति बेतहाशा बढ़ गयी हैं ये कौन लोग सभी को पता है. ये वही लोग है जिन्होंने अपने व् अपने लोंगों के लिए सिस्टम को लूटा है.

सुखद उम्मीदों के साथ आशा करता हूँ कि राष्ट्र आगे बढ़ेगा. मेरे देशवाशी खुशहाल होंगें.

आपका-कमलेश मौर्य
सोनभद्र (उ.प.)

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