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…..दिन की शाम होती गयी. कितनों के सपने परवान चढ़े होंगे? कितनों की यौवन बगिया मकरंदों से महकी होगी? कितने ऐसे भी होंगे जिनके जीवन में केवल सूखा व् निस्ठुरता ही होगी. दुनियां में सब कुठ भरा पड़ा है परन्तु किसे क्या मिलता है. यह उसकी किस्मत की बात होती है. ऐसे ही तकदीर कहते हैं.जो किसी किसी को वह भी दिला देती है जो उसकी उम्मीद भी नहीं करते है.
रामलगन का दिया हुआ गुलाब का फूल तो शाम होते होते प्रतिदिन की भांति आभाहीन होकर सूखने लगा था पर रमाकान्त द्वारा दी गयी पत्तियां दिन भर ताजी बनी रहीं.यह लिखते हुए आज 3 दिन बाद भी रमाकान्त की दी हुयी पत्तियों की याद आ गयी.मैं आज फिर से उन प्यार भरी पत्तियों की की ताजगी व् संजीदगी महसूस कर लेना चाहता था.यह सोचते हुए मैने टेबल के नीचे वाली जगह पर रखी हुयी पत्तियां उठाकर देखा,” पत्तियां तो उसी गुलाबी अंदाज में मस्त हैं. उनका सौंदर्य बना हुआ है.उनमे से ज्यादा नमीं बाहर नही जा पायी थी इसलिए वो ताजी लग रही थीं. जबकि उसके दो दिन बाद लगातार आये गुलाब के फूलों की ताजगी जा चुकी थी…..
एक दिन और बाद जब ताजे गुलाब की कलियाँ न आ सकी तो मैंने पुरानी कलियों को सूंघ कर देखा -वे गन्धहीन व् बासी लग रही थी.”
मेरा मन एक तुलनात्मक अध्ययन में लग गया–
श्रेष्ठ कौन है?
अस्तित्व किसका है?
हमे कौन प्रिय होना चाहिए?
आज तीसरे दिन भी पत्तियां ताजी व गुलाबी लग रही हैं जबकि फूलों की बगिया कब की खत्म हो चुकी हैं.
प्रायः सभी फूलों में पत्तियां होती हैं.कुछ पौधों में फूल नहीं केवल पत्तियां होती हैं. ये पौधे घर व ऑफिस की शोभा बढ़ाया करते हैं. जीवन ओ समाज की शान बढाते हैं अमीर- गरीब सबकी कद्र करते हैं.
जो मुठ्ठीभर अमीर लोग हैं वो ही प्रतिदिन गुलाब का फूल खरीद कर अपनी प्रेमिका को दे सकते हैं.परन्तु गुलाबी पत्तियां तोड़ कर एक आम आदमी भी अपने प्यार का इजहार कर सकता है तथा आई लव यु डार्लिंग बोल सकता है.साथ ही अपने मित्रों को भी गुलाबी पत्तियां भेंट कर सकता है.
पत्तियां प्रत्येक फूलों के लिए सहज हैं बिना पत्तियों के फूलों का अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है.पत्तियां फूलों के लिए जीवन हैं. क्यों कि पत्तियों में ही वह नैसर्गिक शकित है जिससे पौधों के लिए भोजन निर्माण होता है जिसे प्रकाश संश्लेषण क्रिया कहा जाता है.
फूल अपने विवध रंगों से हमारे जीवन को रंगीन व आशावान बनाते हैं.पुष्प जीवन को उल्लसित करते हैं.गुलाब फूलों का राजा कहलाता है तो चंपा को फूलों की रानी कहते हैं.मुझे अपने प्यार में गुलाबों से भरी सुगंध हमेशा महसूस होती है.प्रेमिका के चारो तरफ कि हवा गुलाब कि मकरन्द से भरी होती है जिसका अहसास केवल एक अदद प्रेमी ही कर सकता है.
वे प्रदत्त पत्तियां, ” बिलकुल एक तनहा प्रेमिका जैसी लगने लगी थी जो की पेड़ से अलग व दूर होकर भी ऊर्जावान व आशावान बनी हुयी है……”
(कहानी का द्वितीय भाग पसंद आया हो तो कृपया लाइक करे. ओ अपने कमेंट्स लिखे. धन्यवाद !!)
कमलेश मौर्य
सोनभद्र(उ.प.)
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